।। आरती श्रीनृसिंहाची ।।
ॐ जय नरसिंह हरे प्रभु जय नरसिंह हरे । स्तंभ फाड प्रभु प्रगटे जनका ताप हरे ।। धृ.।।
तुम हो दीन दयाला भक्तन हितकारी । अदभुत रुप बनाकर प्रगटे भयकारी ।।१।।
नख से उदर विदायो दुष्ट दियो मारी । दास जान अपनायो जन पर कृपा करी ।।२।।
ब्रह्मा करत आरती माला पहिनावे । शिवजी जय जय कहकर पुष्पन बरसावे ।।३।।
नारद बीन बजावे सनकादिक गावे । इन्द्र देव सब मिलकर जय जय कार करे ।।४।।
जो कोई सांझ सबेरे यह आरती गावे । पद्मनाभ इनके घर सुख सम्पत्ति लावे ।।५।।