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।। आरती श्रीकृष्णाची ।।

कमल नयन जगदिशजी । (मधुसुदन हो).. २  हरीमनमोहन नाथ जय जय देवहरे ।। धृ. ।।

 यदुकुल नलीन दिनेशजी ।(मुरलीधर हो.. २) रतिबर जनक सुरेश जय जय देवहरे ।।१।।

 नटवर माखन चोर हो । (वृज के पती हो) ..२ गोपीयन के प्रियपान ।।२।।

 हलधर के तुम भ्रात हो । (करुणानिधी हो) ..२ कंसके कंदन नाथ जय जय ।।३।।

 देवकी के प्रिय पुत्र हो । (भयभंजन हो) .. २ रुक्मीन के भरतार जय जय ।।४।। 

भारत के तुम मित्र हो । (उपदेश कहो).. २ हरण सकल महीभार जय जय ।।५।।

 मरुमर्दन वृजराजजी । (तुम मालीक हो).. २ अनुचर राम प्रसन्न जय जय देवहरे ।।६।।