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।। मृत्युंजयाची महादेव आरती ।।

करो रे संतो आरती मृत्युंजय भगवान की मृत्युंजय भगवान की बाबा भोलेनाथ की ।। धृ.।। 

सर्व प्रथम यह जाप किया था मार्कंडेय ऋषीराज ने। माता पिता का आशिष पाकर अमर बने संसार मे । ऐसे अवघट वाणि बोले कीर्ति जिनकी महान रे ।।१।। 

भक्तो खातिर जहर पिया था अमृत दे दोवे को । नागराज को गले बिठाकर अभय दिया देवो को । ऐसे भक्त प्रतिपालक हो पूजा जिनकी महान रे ।।२।। 

महामंत्रका बल है इतना सुख सौभाग्यका दाता । ग्रहपिडाको दूर करे और धन दौलत भी पाता । जिस जिस ने यह जाप किया है शिव भक्ती को पाता ।। ३ ।। 

ब्राह्मण ने गर जाप किया तो विद्या का बल पाता । क्षत्रिय ने गर जाप किया तो बाहू का बल पाता । वैश्य जाती ने जाप किया तो इंद्रसुखो को पाता ।।४।।